About Atma

आत्मा का निबंधन 31 मार्च 2002
आत्मा शासी परिषद का गठन अगस्त 2002
आत्मा प्रबन्ध समिति का गठन सितम्बर 2002
एस0 आर0ई0पी0 (SREP) का निर्माण जनवरी 2003
आत्मा की गतिविधियों की शुरूआत फरवरी 2003
राष्ट्रीय कृषि प्रौद्योगिकी परियोजना (NATP) का समापन जून 2005

विश्व बैंक द्वारा सम्पोषित राष्ट्रीय कृषि प्रौद्योगिकी परियोजना का शुभारंम नवम्बर 1998 में हुआ जिसके अन्तर्गत कृषि प्रौद्योगिकी प्रबन्ध अभिकरण (आत्मा), पटना का गठन दिनांक 31.03.2002 को किया गया। भारत सरकार के अर्द्धसरकारी पत्रांक -27 (प) 2003-एन0ए0टी0पी0 (टी0सी0)-एस0 ई0 डब्लू0 पी0/ए0 ई0 दिनांक 20.04.2005 द्वारा केन्द्र प्रायोजित योजना ’’ सपोर्ट टू स्टेट एक्सटेंशन प्रोग्राम फॉर एक्सटेंशन रिफाम्र्स’’ लागू की गई है। उक्त पत्र के आलोक में कृषि विभाग, बिहार सरकार के पत्रांक-1799 दिनांक 31.05.2005 द्वारा राज्य के पन्द्रह जिलों  में कृषि प्रौद्योगिकी प्रबन्ध अभिकरण (आत्मा) स्थापित करने का राज्य सरकार द्वारा निर्णय लिया गया। कृषि एवं सहकारिता मंत्रालय, भारत सरकार के नये मार्गदर्शिका के अनुसार देश के 591 ग्रामीण जिले में ’’ सपोर्ट टू स्टेट एक्सटेंशन प्रोग्राम फॉर एक्सटेंशन रिफाम्र्स’’ योजना अन्तर्गत कृषि प्रौद्योगिकी प्रबन्ध अभिकरण (आत्मा) का गठन किया गया।

आत्मा क्या है ?

आत्मा उन प्रमुख भागीदारों की संस्था है जो जिला में कृषि के विकास को स्थायित्व प्रदान करने संबंधी कृषि की गतिविधियों में संलग्न है। यह कृषि प्रसार एवं अनुसंधान कार्य को एकीकृत रूप से कृषकों के बीच लाने में मददगार है। यह एक स्वायत्त संस्था है जो जिला में कृषि एवं सम्बद्ध तकनीकी प्रसार के लिए उत्तरदायी है। यह संस्था सीधे धन राशि प्राप्त करने (राज्य/भारत सरकार, निजी संस्थान, सदस्यता, लाभार्थी से सहयोग आदि), अनुबंध करार एवं लेखा अनुरक्षण करने में पूर्व समर्थ होने के साथ ही स्वावलंबन हेतु शुल्क तथा परिचालन व्यय करने में भी समर्थ है।

आत्मा की आवश्यकता क्यों ?

आत्मा जिले में सभी प्रौद्योगिकी प्रसार गतिविधियों के लिए जिम्मेवार है। इसका कृषि विकास से जुड़े सभी संस्थाओं, गैर सरकारी संगठनों एवं अभिकरणों के साथ संबंध है। आत्मा जिले में कार्यरत संस्थाओें जैसे-कृषि विज्ञान केन्द्र, क्षेत्रीय अनुसंधान केन्द्र, तथा सभी प्रमुख लाइन विभागों जैसे- कृषि, उद्यान, पशुपालन, मत्स्यपालन, जिला अग्रणी बैंक आदि आत्मा के संगठनात्मक सदस्य है। इसमें से प्रत्येक विभाग अपनी विभागीय पहचान बनाये रखेंगें, लेकिन उनके प्रसार एवं अनुसंधान संबंधी गतिविधियों का निर्धारण आत्मा के शासी परिषद ;ळवअमतदपदह ठवंतकद्ध  द्वारा किया जाएगा तथा उनका क्रियान्वयन आत्मा प्रबन्ध समिति के द्वारा होगा।

आत्मा के लक्ष्य एवं उद्देश्य :-

  • क्षेत्र विशेष के संसाधन एवं लोगों की मांग पर आधारित तकनीकी सेवा का विकास करना ।
  • कृषि कार्य से सम्बद्ध सभी कृषक अनुसंधान एवं प्रसार कार्यकर्ताओं को सहभागी उद्धेश्यों हेतु जोंड़ना एवं सुदृढ़ करना।
  • कृषि प्रबंध व्यवस्था में सबलीकरण हेतु किसान समूहों का निर्माण करना।
  • क्षेत्र विशेष की आवश्यकता आधारित कृषि व्यवस्था की पहचान एवं सुदृढ़ीकरण करना।
  • योजनाओं का क्रियान्वयन सम्बद्ध विभागों, प्रशिक्षण संस्थानों, स्वयं सेवी संस्थानों, कृषक समूहों आदि द्वारा करना।
  • सभी सम्बद्ध विभागों एवं भागदारों के सामंजन द्वारा अनुसंधान-प्रसार कड़ी को सक्षम बनाना।
  • कृषि के सर्वांगीण विकास हेतु निजी क्षेत्र की भागीदारी बढ़ाना।
  • कृषि क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाना।
  • कृषि प्रसार क्षेत्र में सूचना तकनीक एव मिडिया  की भूमिका को बढ़ावा देना।

आत्मा को शासी परिषद एवं प्रबंध समिति द्वारा सहयोग किया जाएगा। आत्मा के अन्तर्गत प्रखंड स्तर पर कृषक सूचना एवं सलाहकार केन्द्र (FIAC)  का संचालन तकनीकी सलाहकारों की प्रखण्ड तकनीकी दल (BTT) एवं  प्रखंड किसान समूहों के किसान सलाहकार समिति (BFIAC) द्वारा होता है। गाँव एवं प्रखण्ड स्तर पर व्यवसाय आधारित किसान हित समूहों (FIG) को प्रोत्साहन देना,जिससे तकनीकी सृजन एवं प्रसारण में किसान की भूमिका एवं जवाबदेही हो।